WAQT KABHI BHI PALAT SAKTA HAI – PRABHA DEVI KI KAHANI
|WAQT KABHI BHI PALAT SAKTA HAI – PRABHA DEVI KI KAHANI
WAQT KABHI BHI PALAT SAKTA HAI यह बात एकदम सच साबित होती है। कुछ साल पहले आज़ादी के बाद करीब 1960 के आस पास की बात है। अंग्रेजों के द्वारा फैलाई अस्पृश्यता इस तरह फैल चुकी थी। कि लोग एक दूसरे से मिलते तक नहीं थे। अस्पृश्यता जैसी भयानक स्थिति को काबू में करना इतना आसान नही था। बहुत से लोग इस अस्पृश्यता ( छुआ छूूूत ) के चंगुल में फस चुके थे। उसमे एक नाम प्रभा देवी का भी था। छुआ छूूूत का असर उनके दिमाक पर हमेेेशा छाया रहता था।
WAQT KABHI BHI PALAT SAKTA HAI – PRABHA DEVI KI KAHANI
WAQT KABHI BHI PALAT SAKTA HAI यह प्रभा देवी को मालूम नहीं था। प्रभा देवी पैसे से एक टीचर हुआ करती थी। प्रभा देवी बच्चों को पढ़ना अपना कर्तव्य समझती थी। लेकिन वह हमेशा बच्चों से दूर रहती थी। यंहा तक कि वो बच्चों की किताब को भी छूना नहीं चाहती थी। एवं बच्चों से kai फीट दूर रहती थी। बच्चों को पहले से ही सूचना दी गयी थी कि वे उन से दूर रहें।
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प्रभादेवी बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारती थी, क्यों कि उन्हें हमेशा बच्चों से लगाव रहता था। कई बार बच्चों को बहुत ही महंगे तोहफे भी देती थी। लेकिन उन्होंने कभी भी बच्चों को गोद मे नहीं लिया था। और न ही वे लेना चाहती थी। ऐसा लगता था कि बच्चे कभी उनके कपड़े खराब न करदे। छोटे बच्चों पर उनका मन रहता था। लेकिन फिर भी वे बच्चों से दूरी बनाकर रहती थी।
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कुछ सालों बाद
अब प्रभा देवी का वक़्त बदल चुका था। वे सेवेंटी इयर्स ओल्ड हो चुकी थी। उस उम्र में भयानक बीमारी से लड़ रही थी। वे ज्यादातर बिस्तर में पड़ी रहती थी। उनकी एक बेटी थी जो उनके साथ रहती थी। वह हमेशा उनकी देखभाल करती थी। प्रभा देवी kai बार गंदगी में ही सोई रहती है।एक समय था जब वे अपने नौकरों से दूर रहती थी। प्रभा देवी दिल की बहुत ही अछि थी। लोगों से दूरी बनाकर रहना उनका स्वभाव बन चुका था। इसके चलते वंहा के लोग उन्हें पसंद नहीं करते थे। इसलिए आज बुढ़ापे में उन्हें ऐसे दिन देखने को मिल रहे थे।आज उन्हें उन पुराने लीगों की जरूरत है। जिनसे वे हमेशा दूर रही।
महान बनाने के लिये क्या क्या करे।
WAQT KABHI BHI PALAT SAKTA HAI – PRABHA DEVI KI KAHANI
इस कहानी से सिख :- इस कहानी से यह सिख मिलती है कि हमेशा मिलजुल कर रहो। दूसरों से घृणा मत करो। सबसे व्यवहार रखो। अन्यथा वक्त कभी भी बदल सकता है। जिस चीज से आप हमेशा दूर रहे बुरे वक्त में उसका सामना करना पड़ सकता है। आपकी सुंदरता कितनी भी ज्यादा क्यों न हो।
खुद को दूसरों से मिलजुल कर रहना चाहिए।धृणा एवं अभिमान इंसान के पतन का कारण बन सकते हैं। कहानी आपको पसंद आये तो दोस्तों में जरूर शेयर करे। फेसबुक, whatsaap, ट्विटर, & गूगल प्लस पर शेयर करें।
bahut he badiya story hai sir.